मृत्यु के बाद कैसी होती है यमलोक यात्रा, गरुड़ पुराण में किया गया है जिक्र

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Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के महापुराणों में एक है, जिसे प्रसिद्ध ग्रंथ माना गया है. यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसमें जीवन के साथ ही मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है. इसलिए सभी पुराणों में इसका अलग और विशेष महत्व होता है.

हम सभी जानते हैं कि, मृत्यु जीवन का अटल और सबसे बड़ा सत्य है. गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु अपने वाहन पक्षीराज गरुड़ को मृत्यु और मृत्यु के बाद की घटनाओं से संबंधित गूढ़ बातों के बारे में बताते हैं, जिसे गरुड़ पुराण में बताया गया है.

मृत्यु के बाद कैसी होती है यमलोक की यात्रा

  • गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है और इसके बाद उसकी यमलोक यात्रा शुरू हो जाती है. इस यात्रा के दौरान जीवात्मा को भिन्न-भिन्न जगहों से गुजरना पड़ता है और इस दौरान आत्मा ने अपने जीवन में पाप-पुण्य जैसे भी कर्म किए होते हैं, उसी के अनुरूप सफर में आगे भेजा जाता है.
  • गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु से ठीक पहले व्यक्ति की आवाज चली जाती है और उसकी सभी इंद्रियां बंद पड़ जाती है. अंतिम समय में व्यक्ति को ईश्वर द्वारा दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है और इस तरह से वह संसार को अलग तरीके से देखने लगता है.
  • गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, मृत्यु के बाद मृतक की आत्मा को लेकर जाने के लिए यमराज के 2 दूत आते हैं, जो देखने में भयानक होते हैं. कहा जाता है कि यमदूत आत्मा के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं, जैसा उसने अपने जीवनकाल में लोगों के साथ किया होता है. यदि मृतक अच्छा, सच्चा और पुण्य कर्म करने वाला हो तो, उसे प्राण त्यागने में कठिनाई नहीं होती है और यमदूत भी उसे बिना कष्ट दिए यमलोक ले जाते हैं.
  • वहीं अगर मृतक ने अपने जीवन में पाप कर्म किए होते हैं तो वह बहुत पीड़ा में प्राण त्यागता है और यमदूत उसके गले में पाश बांधकर उसे घसीटते हुए यमलोक ले जाते हैं. साथ ही ऐसे लोगों की आत्मा को यमलोक में भी बहुत यातनाएं दी जाती है.
  • यमलोक पहुंचने के बाद आत्मा को उसके उत्तर कार्यों की पूर्ति के लिए उसके घर पर पुन: वापस छोड़ दिया जाता है और आत्मा अपने घर आकर परिवारवालों के शरीर में प्रवेश करने का प्रयास करती है. लेकिन पाश से बंधे रहने के कारण वह मुक्त नहीं हो पाती है.
  • कर्मकांड के दसवें दिन जब परिवार वाले मृतक का पिंडदान करते हैं तो आत्मा को यमलोक जाने की शक्ति मिलती है और इन दिनों में आत्मा का अपने परिवार वालों और संसार से मोह भी खत्म हो जाता है. इसके बाद तेरहवें दिन यमदूत फिर से आकर आत्मा को यमलोक ले जाते हैं, जहां जीवात्मा के कर्मों का हिसाब-किताब होता है और उसके अनुसार उसे अर्चि मार्ग (स्वर्ग), धूम मार्ग (पितृ लोक) या उतपत्ति विनाश मार्ग (नरक) की प्राप्ति होती है.  

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